Hindus Culture Places: अन्य उपलब्धियां के साथ भारत देश मंदिरों के निर्माण के लिए भी जाना जाता है। साथ ही यहां हिंदू धर्म से जुड़ी अनेक प्राचीन मंदिर स्थित है। जो न जाने कितने हजार साल पहले की बनी हुई है, इस बात का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है। इसी तरह अपने अपने खूबियां के लिए पहचान आने वाली मंदिरों में से एक मंदिर ऐसा भी है, जो कि सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है। यह मंदिर हिंदू धर्म के भगवान श्री विष्णु को समर्पित है। रक्षाबंधन के दिन इस मंदिर में एक अलग ही रौनक देखने को मिलते हैं। तो आज हम इस मंदिर के बारे में जानेंगे। साथ ही इस बात को भी जानेंगे कि यह मंदिर कहां पर स्थित है?
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हिंदू धर्म के त्योहारों में रक्षाबंधन का महत्व के बारे में
हिंदू धर्म में आने को त्यौहार बनाए जाते हैं उदाहरण के लिए होली, दिवाली, दुर्गा पूजा, रक्षाबंधन, ईद रमजान, क्रिसमस आदि। इन सभी त्योहारों का अपने आप में अलग-अलग ही महत्व है। फिलहाल में रक्षाबंधन का त्यौहार आ रहा है। जिसको लेकर बाजार में काफी चहल-पहल मची हुई है। वैसे तो हर त्योहार से जुड़ी एक कहानी होती है। हर त्योहार किसी न किसी धार्मिक स्थल से तो जुड़ा ही होता है। आपको बता दे कि रक्षाबंधन से संबंधित भी एक मंदिर है, जो सिर्फ राखी के दिन ही खुलता है। यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान श्री हरि से संबंधित है।
भारतीय त्योहार रक्षाबंधन से संबंधित विशेष प्रकार का मंदिर
रक्षाबंधन से जुड़ा मंदिर जो सिर्फ राखी के दिन ही खुलता है। यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली में स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर के पास जाने के लिए चमोली के दुर्गम घाटी का रूख करना पड़ता है। इस मंदिर का नाम बंसीनारायण मंदिर है। इस मंदिर में भगवान श्री हरि के अलावा भगवान शिव भगवान गणेश और वन देवी की मूर्तियां भी स्थापित है।
हम सभी यह यह बात जानते हैं कि वंशी नारायण मंदिर वर्ष में सिर्फ एक बार राखी के दिन ही खुलता है। इस मंदिर के पीछे पौराणिक कथाएं हैं। जिसके अनुसार भगवान विष्णु ने जब वामन अवतार लिये थे। तब राजा बली ने उन्हे अपना द्वारपाल बनाया था। तब उन्हें वापस बुलाने के लिए इच्छुक दूसरों ने नारद मुनि से बली को रक्षा सूत्र बांधने का उपाय देकर दुर्गम घाटी में रुकी। इसके बाद रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।
लोगों का यह भी मानना है कि भगवान विष्णु को वामन रूप से मुक्ति यही मिली थी। रक्षाबंधन के दिन आस-पास के लोग इस मंदिर की सफाई करके आसपास के घरों से मक्खन लाकर उसकी प्रसाद बनाकर भगवान विष्णु को चढ़ाते हैं। फिर आपस में वितरण करते हैं।