Pension New Formula: ईपीएफओ (EPFO) सदस्यों के लिए उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की समय सीमा तेजी से नजदीक आ रही है ! लेकिन उनके लिए यह जिंदगी का अजूबा बन गया है। इसका कारण यह है कि इसमें बहुत सी बातें स्पष्ट नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पात्र सदस्यों के पक्ष में फैसला सुनाया है लेकिन हर कोई भविष्य के बारे में निश्चित नहीं है। उच्च पेंशन (High Pension) के रास्ते में अधिकारियों ने कई बाधाएं डाली हैं।
Pension New Formula

सदस्यों को डर है कि वे भविष्य में भी ऐसा कर सकते हैं। उनकी चिंता खासतौर पर पिछली तारीख से पेंशन गणना पद्धति में बदलाव को लेकर है। आइए समझते हैं कि पेंशन कैलकुलेशन के तरीके में बदलाव का ईपीएस मेंबर (EPS Member) पर क्या असर पड़ सकता है। सवाल यह है कि क्या ईपीएफओ भविष्य में इस तरह का बदलाव कर सकता है या नहीं। उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की अंतिम तिथि 26 जून है।
क्या है मौजूदा फॉर्मूला
ईपीएस 95 के तहत इसका मौजूदा फॉर्मूला इस प्रकार है: मासिक पेंशन = (पेंशन योग्य सेवा*पेंशन योग्य वेतन)/70। यानी जिस सदस्य की पेंशन योग्य सेवा और पेंशन योग्य वेतन ज्यादा होगा, उसकी पेंशन भी ज्यादा होगी। पेंशन योग्य सेवा अवधि प्रत्येक परिदृश्य में समान रहेगी लेकिन पेंशन योग्य वेतन में परिवर्तन किया जा सकता है।
अगर ईपीएफओ (EPFO) में कोई बदलाव होता है और इससे पेंशन योग्य वेतन में कमी आ सकती है तो सदस्य को कम पेंशन मिलेगी। 1 सितंबर 2014 से पहले पेंशन योग्य वेतन की गणना पिछले 12 महीनों के औसत वेतन के आधार पर की जाती थी। लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया।
EPFO Pension
शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी की पार्टनर पूजा रामचंदानी ने कहा कि पेंशन (Pension) योग्य वेतन की गणना का तरीका सितंबर 2014 में बदल दिया गया था। इसके मुताबिक नौकरी छोड़ने से पहले 60 महीने के औसत वेतन के आधार पर पेंशन योग्य वेतन की गणना की जाएगी।
यह उच्च पेंशन के लिए आवेदन करने वाले सदस्यों के लिए सूत्र है। ईपीएफओ (Employees’ Provident Fund Organisation) ने ज्यादा पेंशन से जुड़े ज्यादातर सवालों का समाधान एक सर्कुलर के जरिए किया है। लेकिन यह पेंच अभी भी फंसा हुआ है कि पेंशन की गणना कैसे होगी। ईपीएफओ का कहना है कि इस संबंध में एक और सर्कुलर जारी किया जाएगा। उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
क्या ईपीएफओ फॉर्मूला बदल सकता है
जब लोग अपने करियर में आगे बढ़ते हैं तो उनकी सैलरी भी बढ़ती है। यानी अगर किसी की पिछले साल की औसत सैलरी को पेंशनेबल सैलरी माना जाए तो उसे ज्यादा पैसे मिलेंगे। यदि औसत वेतन आहरण की अवधि बढ़ाई जाती है तो उसे कम पेंशन मिलेगी। मौजूदा फॉर्मूले में पेंशन (Pension New Formula) योग्य वेतन की गणना पिछले 60 महीनों के औसत वेतन के आधार पर की जाती है। सदस्यों को लगता है कि अगर वे ज्यादा पेंशन के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें इस फॉर्मूले के आधार पर पेंशन मिलती रहेगी। अगर भविष्य में इस फॉर्मूले में बदलाव होता है तो सदस्यों को नुकसान होगा !
Employees’ Provident Fund Organisation
सवाल यह है कि क्या ईपीएफओ (Employees’ Provident Fund Organisation) भविष्य में भूतलक्षी प्रभाव से पेंशन फॉर्मूले में बदलाव कर सकता है। केएस लीगल एंड एसोसिएट्स के मैनेजिंग पार्टनर सोनम चंदवानी ने कहा कि Employees’ Provident Fund and Miscellaneous Provisions Act, 1952 की धारा 7 के अनुसार, एक नियम को पूर्वव्यापी रूप से बदला जा सकता है।
कुछ जानकारों का मानना है कि सरकार को इसके लिए कानून बनाना होगा ! रामचंदानी ने कहा कि ईपीएस स्कीम (EPS Scheme) में कोई भी बदलाव कानून में संशोधन करके ही किया जा सकता है ! पिछली बार जब फॉर्मूला बदला गया था तो इसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी। लेकिन कोर्ट ने इस बदलाव को बरकरार रखा !
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