Kesar Ki Kheti (केसर की खेती) आजकल किसानों के लिए एक शानदार मुनाफे का रास्ता बन चुकी है। केसर, जिसे मसालों का राजा और सबसे महंगा मसाला कहा जाता है, उसकी कीमत 1.5 लाख रुपये से 3.5 लाख रुपये प्रति किलो तक होती है। यह कम जमीन में भी खेती करने पर लाखों का मुनाफा दे सकता है। खासकर कश्मीरी केसर, जिसे GI टैग मिला है, की मांग अब देश-विदेश में बहुत बढ़ गई है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि Kesar Ki Kheti कैसे की जाती है, इसके लिए सही समय, जलवायु, मिट्टी, और खेती के तरीके क्या हैं।
Kesar Ki Kheti के लिए सही समय
Kesar Ki Kheti के लिए सही समय का बहुत महत्व है। केसर की फसल को मध्य जुलाई से अगस्त के बीच बोना सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान मौसम ठंडा और शुष्क रहता है, जो केसर के कंदों की रोपाई के लिए आदर्श स्थिति होती है। कुछ किसान अगस्त से सितंबर के बीच रोपाई को बेहतर मानते हैं, क्योंकि इस समय पौधों को ठंडी जलवायु और पर्याप्त धूप मिलती है, जिससे अंकुरण और बढ़ोतरी अच्छी होती है।

समय | विवरण |
बीजाई का समय | जुलाई से अगस्त, या अगस्त से सितंबर तक |
मौसम | ठंडी और शुष्क जलवायु |
तापमान | 15-20°C (सर्दी), 35-40°C (गर्मी) |
Kesar के लिए मिटटी
Kesar Ki Kheti के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। पौधों को प्रतिदिन 12 घंटे की सीधी धूप चाहिए, और उन्हें ठंडी जलवायु में उगाया जाता है। समुद्र तल से 2,000 मीटर की ऊंचाई पर सबसे अच्छा परिणाम मिलता है। मिट्टी की बात करें तो बलुई, दोमट, या रेतीली मिट्टी जिसमें जल निकासी की सुविधा हो, सबसे बेहतर मानी जाती है। मिट्टी का पीएच 6 से 8 के बीच होना चाहिए, और इसमें कैल्शियम कार्बोनेट की अच्छी मात्रा होनी चाहिए।
जलवायु | ठंडी और शुष्क, 12 घंटे सीधी धूप |
तापमान | गर्मी: 35-40°C, सर्दी: 15-20°C |
मिट्टी | बलुई, दोमट, रेतीली, जल निकासी की सुविधा |
पीएच मान | 6 से 8 |
Kesar Ki Kheti का तरीका
केसर की खेती खेतों में कंदों से की जाती है। खेत में कंदों को एक-दूसरे से 1 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए, ताकि पौधों को पर्याप्त जगह मिल सके। रोपाई से पहले मिट्टी में पुरानी गोबर खाद मिलानी चाहिए ताकि पौधों को पोषण मिले। यह एक बारहमासी फसल है, जिसका मतलब है कि कंदों से 10 से 15 साल तक खेती की जा सकती है।
काश्मीरी केशर की खेती
Kashmiri Kesar (कश्मीरी केसर) दुनिया भर में अपनी उच्च गुणवत्ता और शानदार सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। यह जम्मू-कश्मीर के पंपोर, बडगाम और श्रीनगर जैसे क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसे GI (Geographical Indication) टैग प्राप्त है। कश्मीरी केसर का इस्तेमाल न केवल खाने में बल्कि औषधीय दवाओं में भी होता है, जो इसे और भी मूल्यवान बनाता है। इसकी मांग विदेशों, खासकर UAE में भी बढ़ी है।
केसर का प्रकार | स्थानीयता और विशेषताएं |
कश्मीरी केसर | GI टैग प्राप्त, उच्च गुणवत्ता, स्वादिष्ट सुगंध |
उपयोग | खाने, औषधीय दवाओं में |
मांग | विदेशों में खासकर UAE में |
Kesar Ki Kheti में लागत और मुनाफा
Kesar Ki Kheti किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकती है। 2024 में 1 किलो केसर की कीमत 1.5 लाख रुपये से लेकर 3.5 लाख रुपये तक थी। इसके अलावा, 2024 के दिसंबर में केसर का औसत मूल्य मंडी में 40 लाख रुपये प्रति क्विंटल था। इस कीमत के कारण, कम जमीन में भी Kesar Ki Kheti लाखों का मुनाफा दे सकती है। एक हेक्टेयर में 2-3 किलोग्राम केसर उगाया जा सकता है, जिससे 3 से 10 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है।
क्षेत्र | उपज | मुनाफा |
1 हेक्टेयर में केसर | 2-3 किलोग्राम | 3 से 10 लाख रुपये |
केसर की कीमत | 1.5 से 3.5 लाख रुपये प्रति किलो | उच्च मांग वाले क्षेत्रों में अधिक |
Kesar Ki Kheti करने का नया तरीका
अब Kesar Ki Kheti खेतों तक सीमित नहीं है। एरोपोनिक तकनीक का उपयोग करके इसे बंद कमरे में भी उगाया जा सकता है। इसमें मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती और पौधों को हवा में लटका कर धुंध के जरिए पोषक तत्व दिए जाते हैं, जिससे पानी की बचत होती है और पौधों को अधिक पोषण मिलता है। इसके लिए कमरे का तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस और नमी 40-60% के बीच रखनी चाहिए।
कमरे में खेती की तकनीक | आवश्यक उपकरण | तापमान और नमी |
एरोपोनिक खेती | थर्मामीटर, एयर कंडीशनर, CO2 एक्सट्रैक्टर | तापमान: 15-20°C, नमी: 40-60% |
गमले में Kesar Ki Kheti
गमले में Kesar Ki Kheti छोटे स्तर पर करने का एक बेहतरीन तरीका है। गमले में केसर के कंदों को 3 इंच गहराई में लगाकर और मिट्टी की सही मिश्रण से पानी देना शुरू करें। 10 दिनों में अंकुरण शुरू हो जाएगा और नवंबर तक फूल आ जाएंगे।

Kesar Ki Kheti के लिए सलाह
केसर की खेती शुरू करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपकी मिट्टी उपयुक्त हो और आप विश्वसनीय स्रोत से कंद खरीदें। एरोपोनिक खेती के लिए तापमान और नमी नियंत्रित करने वाले उपकरणों की व्यवस्था करें। गमले में खेती के लिए जल निकासी की सही व्यवस्था करें।
केसर की खेती के लाभ
Kesar Ki Kheti एक लाभकारी और फायदेमंद खेती का तरीका है। चाहे खेतों में पारंपरिक तरीके से हो, गमले में छोटे स्तर पर हो, या एरोपोनिक तकनीक का उपयोग करके कमरे में हो, Kesar Ki Kheti किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है। यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे सकती है, और छोटे किसान भी इस से अपनी आय बढ़ा सकते हैं। कश्मीरी केसर की मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ी है, जो इसे और भी लाभकारी बनाता है। इस खेती को अपनाकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं और एक स्थिर भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
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