7th Pay Commission For Doctors: सरकारी डॉक्टरों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है, खासकर उन डॉक्टरों के लिए जो मध्यप्रदेश के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत हैं। सरकार ने 7th Pay Commission को लागू करने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं।
यह फैसला राज्य के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत डॉक्टरों के लिए है, जिनमें गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा, जबलपुर और सागर जैसे कॉलेज शामिल हैं। इस फैसले से इन कॉलेजों में कार्यरत लगभग 2000 डॉक्टरों को लाभ मिलेगा। 7th Pay Commission से जुड़े इस आदेश को लेकर डॉक्टरों में खुशी का माहौल है, और इसे सरकार द्वारा उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग को मान्यता देने के रूप में देखा जा रहा है।
7th Pay Commission का लाभ किन डॉक्टरों को मिलेगा?
यह आदेश मुख्य रूप से 2016 से पहले स्थापित राज्य के छह प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टरों के लिए है। इनमें गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा, जबलपुर और सागर मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। इन कॉलेजों में काम कर रहे डॉक्टरों को 7th Pay Commission का लाभ दिया जाएगा, जो कि 2016 से लागू होगा। हालांकि, जो मेडिकल कॉलेज 2016 के बाद खोले गए हैं और जहां नई नियुक्तियां हुई हैं, उन्हें इस आदेश से बाहर रखा गया है।
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सरकार के इस कदम से उन डॉक्टरों को राहत मिलेगी जिन्होंने लंबे समय से अपनी वेतन वृद्धि के लिए संघर्ष किया था। इस आदेश को लेकर राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की भूमिका अहम रही है। उनका समर्थन और सक्रिय पहल डॉक्टरों की मांगों के समाधान में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
डॉक्टरों की हड़ताल और सरकार की प्रतिक्रिया
मध्यप्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल ने राज्य सरकार को गंभीरता से अपनी नीतियों पर पुनः विचार करने के लिए प्रेरित किया। डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर 20-21 फरवरी को काली पट्टी बांधकर आंदोलन किया था और इस दौरान उन्होंने अमानक दवाइयों की होली भी जलाई थी। उनकी मांगों में 7th Pay Commission की स्वीकृति, नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस की फिक्सेशन और अन्य चिकित्सा सुविधाओं की बात थी।
डॉक्टरों की इस हड़ताल को लेकर उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने गंभीर चिंता जताई थी और इसके समाधान के लिए तत्काल एक बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया जिसमें प्रमुख सचिव, कमिश्नर हेल्थ और चिकित्सा महासंघों के पदाधिकारियों को शामिल किया गया। इस समिति के बाद ही सरकार ने डॉक्टरों की मांगों को मानते हुए आदेश जारी कर दिए।
चिकित्सा महासंघ की प्रतिक्रिया
चिकित्सा महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने इस आदेश को डॉक्टरों की एकजुटता और संघर्ष का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी राहत है और आगे भी डॉक्टरों के हक के लिए संघर्ष जारी रहेगा। डॉ. मालवीय ने यह भी कहा कि सरकार ने जो समय सीमा तय की थी, उसके भीतर ही आदेश जारी कर दिए गए, जिससे यह साबित होता है कि सरकार डॉक्टरों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है।
उन्होने मुख्यमंत्री मोहन यादव और उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह आदेश प्रदेश के सभी सरकारी डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
7th Pay Commission से डॉक्टरों को क्या लाभ मिलेगा?
7th Pay Commission के लागू होने से सरकारी डॉक्टरों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इस वेतनमान में कर्मचारियों के लिए बेहतर वेतन संरचना और भत्तों की व्यवस्था की गई है, जो उन्हें अपनी मेहनत का उचित पुरस्कार देने में सक्षम होगी। डॉक्टरों को मिलने वाले अतिरिक्त भत्ते, जैसे कि नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस, उनके लिए एक और बड़ी राहत होगी।
7th Pay Commission का लाभ मिलने से डॉक्टरों को अपने परिवार की बेहतर देखभाल करने और अपनी जीवनशैली को सुधारने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, यह आदेश डॉक्टरों के लिए एक मनोबल बढ़ाने वाला कदम साबित होगा, क्योंकि लंबे समय से उनकी वेतन वृद्धि को लेकर मांगें उठाई जा रही थीं।
कंक्लुजन
7th Pay Commission की स्वीकृति से सरकारी डॉक्टरों को एक महत्वपूर्ण आर्थिक राहत मिलेगी। इस फैसले से यह साबित होता है कि सरकार डॉक्टरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझती है और उनके कड़ी मेहनत के बदले उचित सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, कुछ नए मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को इस आदेश से बाहर रखा गया है, फिर भी यह आदेश प्रदेश के कई अन्य डॉक्टरों के लिए एक स्वागत योग्य कदम साबित हुआ है। अब देखना यह है कि भविष्य में सरकार किस प्रकार से अन्य लंबित मांगों का समाधान करती है और किस तरह से मेडिकल क्षेत्र में सुधार होता है।
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