Rain Effect Inflation: गर्मी और बेमौसम बारिश ने देश के अंदर महंगाई की समस्या को बढ़ा दिया है। खाद्य मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ी है। खासकर वर्तमान समय में साग-सब्जियों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के कारण उत्पादन कम होने से भविष्य में चावल समेत कई जिंसों की कीमतों में भी उछाल आ सकता है। हालाँकि, सितंबर की बारिश ने कुछ उम्मीदें जगाई हैं। सितंबर में बेहतर बारिश से महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्रों में कुछ खुशियां बढ़ी हैं और कई जगहों पर बुआई पहले से बेहतर हुई है। अनुमान है कि इस बारिश से महंगाई भी कम हो सकती है, साथ ही चावल और सोयाबीन समेत कुछ पौधों की पैदावार भी बढ़ सकती है।
कमी हो सकती उत्पादन में
अगस्त में भारी कमी के कारण नमी का दबाव पैदा हो गया है, जिससे अनाज उत्पादन में कमी की परेशानी बढ़ गयी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 8 सितंबर तक धान बुआई का रकबा साल-दर-साल 2.7 प्रतिशत बढ़कर 40.3 मिलियन हेक्टेयर हो गया है, जबकि सोयाबीन की बुआई का रकबा 1.3 प्रतिशत बढ़कर 12.54 करोड़ हेक्टेयर हो गया है। मिलियन हेक्टेयर।
चावल उत्पादन में सुधार की उम्मीद
सितंबर में, देश के उत्तरी राज्यों, मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में धान की खेती सिंचाई पर निर्भर होती है। हालाँकि, जापानी राज्य, जहाँ भारी मात्रा में चावल का उत्पादन होता है, में उपयुक्त वर्षा दिखाई देती है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे में सितंबर में बारिश की वजह से धान का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब-करीब ही रहने वाला है। आपको बता दें कि धान की बुआई सबसे ज्यादा बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में हुई है।
सोयाबीन के पौधों को भी मदद, धान की तरह सोयाबीन के पौधों को भी सितंबर की बारिश से मदद मिलेगी। इससे सोया तेल की कीमतें भी कम हो सकती हैं। भारतीय मौसम विभाग का अनुमान है कि 21 सितंबर तक अमेरिका के कई हिस्सों में भारी बारिश होगी।
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