छत्तीसगढ़ के प्राइवेट और गवर्नमेंट डेंटल कॉलेजों में बैचलर ऑफ़ डेंटल सर्जरी (BDS) पाठ्यक्रम के लिए छात्रों की घटती हुई रूचि चिंता का विषय बन रही है। प्रदेश के 6 डेंटल कॉलेज में 600 सीटें हैं। उसके पश्चात भी चौथे राउंड की काउंसलिंग के बाद 270 से भी ज्यादा सीटे अब भी खाली रह गई हैं। इसे देखते हुए सरकार ने नीट क्वालिफाइड कैंडीडेट्स को एक और अवसर देते हुए दोबारा ऑनलाइन पंजीयन और चॉइस फिलिंग का मौका दिया है।
BDS में रुचि न होने के कारण छात्र एमबीबीएस को प्राथमिकता दे रहे हैं जो बीडीएस पाठ्यक्रम में घटती रुचि का सबसे अहम कारण है। पिछले राउंड के पंजीयन में कुछ छात्रों ने आवेदन किया परंतु सभी छात्रों ने बीडीएस के बजाय एमबीबीएस के लिए चॉइस फिलिंग की जिसके कारण छात्रों का पंजीयन रद्द कर दिया गया।
विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि BDS की तुलना में एमबीबीएस में करियर बनने की अधिक अच्छा माना जा रहा है यदि कैंडीडेट्स बीडीएस कोर्स करने के पश्चात एमडीएस नहीं करते हैं तो करियर में बहुत सीमित विकल्प रह जाते हैं। डेंटिस्ट की स्थिति सरकारी अस्पतालों में भी स्थिर है और सरकारी अस्पतालों में अगर डेंटिस्ट हैं भी तो डेंटल चेयर और दूसरी सुविधाओं की कमी के कारण पेशेंट प्राइवेट क्लीनिक में जाना अधिक पसंद करते हैं।
सीट्स फुल करने के लिए नई योजनाएं और प्रयास:
पिछले 7 वर्षों से BDS की सिटें अक्सर खाली रही हैं यह स्थिति केवल इसी ही वर्ष से नहीं है बल्कि 2022 में भी 40% सीटें भर नहीं पाई थी। डेंटल कोर्स में सरकारी स्तर पर डेंटिस्ट की कम मांग और इस कोर्स में रुचि की कमी ट्रेंड के मुख्य कारण है।
इस साल प्रशासन ने छात्रों को BDS पाठ्यक्रम में प्रवेश करने के लिए विशेष काउंसलिंग राउंड आयोजित करके एक दूसरा अवसर दिया है। चॉइस और पंजीयन की प्रक्रिया 23 से 25 नवंबर तक चली है। अब आवंटन सारणी 27 नवंबर को जारी की कर दी जाएगी। कैंडिडेट्स को 28 नवंबर से 02 दिसंबर तक कॉलेज में प्रवेश लेना होगा।
छत्तीसगढ़ में केवल एक गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज है। प्राइवेट कॉलेज को मिलाकर कुल 6 कॉलेज हैं। अब अगले साल रायपुर में एक नव प्राइवेट डेंटल कॉलेज खुलने की योजना बनी है। संचालकों को आशा है कि यह कॉलेज राजधानी में होने के कारण छात्रों को बेहतर प्रतिक्रिया मिलेगी।
छात्रों को जागरूक करने की जरूरत:
बीडीएस कोर्स में, प्रशासन को छात्रों की इस घटती हुई रुचि को देखते हुए पाठ्यक्रम के लाभ और करियर के अवसरों के बारे में जागरूक करना होगा। सरकारी अस्पतालों में डेंटिस्ट और प्राइवेट डेंटल क्लीनिक खोलने की स्थिति में भी सुधार होने चाहिए।
छत्तीसगढ़ के बीडीएस पाठ्यक्रम में कैंडीडेट्स की कमी न सिर्फ संस्थाओं के लिए है बल्कि चिकित्सा क्षेत्र के लिए भी एक चुनौती है। यदि समय रहते हुए इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो फिर प्रदेश में डेंटल हेल्थ सुविधाओं पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कैंडिडेट्स को मोटिवेट करने के लिए कॉलेज और प्रशासन को मिलकर कोशिशें करनी होंगी जिससे डेंटल क्षेत्र में करियर के उज्जवल अवसरों को समझा जा सके।
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