OPS Scheme 2025: सरकारी नौकरी करने वाले करोड़ों कर्मचारियों के लिए पेंशन सिर्फ एक लाभ नहीं, बल्कि भविष्य की आर्थिक सुरक्षा होती है। लंबे समय से OPS स्कीम यानी Old Pension Scheme को फिर से बहाल करने की मांग की जा रही थी। अब इस दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्र और राज्य सरकारें गंभीरता से विचार कर रही हैं कि OPS स्कीम को दोबारा लागू किया जाए, ताकि रिटायर्ड कर्मचारियों को स्थायी और निश्चित पेंशन मिल सके।
OPS Scheme vs NPS: दोनों में क्या है अंतर
OPS Scheme वह पुरानी पेंशन योजना है जिसमें रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को उसकी अंतिम बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलती थी। इसमें किसी तरह की कटौती नहीं होती थी और महंगाई भत्ता भी शामिल होता था। दूसरी ओर, NPS यानी न्यू पेंशन स्कीम में पेंशन फिक्स नहीं होती बल्कि बाजार आधारित निवेश पर निर्भर करती है, जिसमें कर्मचारी की सैलरी से 10 प्रतिशत और सरकार की तरफ से उतना ही अंशदान जमा किया जाता है।
कर्मचारियों का बढ़ता दबाव और OPS Scheme की मांग
देशभर के कर्मचारी संगठन लगातार कह रहे हैं कि NPS से मिलने वाली पेंशन स्थिर नहीं है और यह रिटायर्ड जीवन में अनिश्चितता पैदा करती है। इसी वजह से OPS Scheme को फिर से लागू करने की मांग ज़ोर पकड़ चुकी है। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद जैसे संगठन इस विषय पर केंद्र और राज्य सरकारों को कई बार पत्र भी लिख चुके हैं।
कौन-कौन से राज्य लागू कर चुके हैं OPS Scheme
राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य OPS Scheme को पहले ही दोबारा लागू कर चुके हैं। इन राज्यों के फैसले से बाकी राज्यों के कर्मचारियों में भी उम्मीद जगी है। हालांकि, NPS में जमा राशि की वापसी और केंद्र से अनुमोदन जैसी कुछ तकनीकी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।
उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार का नजरिया
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्मचारी संगठनों से बातचीत की है और बताया कि केंद्र सरकार ने इस पर एक समिति गठित की है जो OPS Scheme को लेकर रिपोर्ट तैयार कर रही है। अगर यह रिपोर्ट सकारात्मक आई तो केंद्र और अन्य राज्य सरकारें भी OPS को फिर से लागू कर सकती हैं।
क्या OPS Scheme को फिर से लागू करना संभव है?
OPS Scheme को दोबारा लागू करना सरकार के लिए वित्तीय रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लंबे समय तक पेंशन देने के लिए भारी फंड की आवश्यकता होगी। हालांकि कर्मचारियों का कहना है कि यह उनका अधिकार है, क्योंकि वे अपना पूरा जीवन देश सेवा में लगा देते हैं। एक व्यावहारिक समाधान यह हो सकता है कि सरकार कर्मचारियों को NPS और OPS Scheme में से किसी एक को चुनने का विकल्प दे।
राजनीतिक असर और चुनावी समीकरण
OPS Scheme अब सिर्फ एक आर्थिक मुद्दा नहीं रहा बल्कि यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। अगर इस पर समय रहते फैसला नहीं हुआ तो इसका असर आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है। कर्मचारी संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर OPS Scheme पर सकारात्मक फैसला नहीं हुआ तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
OPS Scheme की वापसी से करोड़ों सरकारी कर्मचारियों के भविष्य को आर्थिक स्थिरता मिल सकती है। इससे न सिर्फ उन्हें भरोसा मिलेगा, बल्कि यह सरकार के प्रति विश्वास को भी मज़बूत करेगा। कुछ राज्य पहले ही इस दिशा में पहल कर चुके हैं और केंद्र सरकार की समिति रिपोर्ट तैयार कर रही है। अगर सरकार OPS और NPS दोनों का विकल्प देती है, तो यह सभी पक्षों के लिए संतुलित और व्यावहारिक कदम होगा।
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