Til Ki Kheti से कमाएं ₹60,000 प्रति एकड़! कम पानी, कम लागत में ज्यादा मुनाफा – जानिए पूरी जानकारी

Harsh

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Til Ki Kheti: भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जब कम लागत और अधिक मुनाफा देने वाली खेती की बात होती है, तो Til Ki Kheti यानी तिल की खेती का नाम सबसे ऊपर आता है। यह फसल न केवल पारंपरिक है, बल्कि आधुनिक कृषि की मांगों के अनुसार भी पूरी तरह अनुकूल है। जलवायु परिवर्तन के दौर में जहां किसान कम पानी और कम संसाधनों में लाभदायक फसल की तलाश कर रहे हैं, वहीं तिल की खेती उन्हें स्थायित्व और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। आइए विस्तार से जानें कि Til Ki Kheti क्यों है किसानों के लिए वरदान और इससे लाखों रुपये की कमाई कैसे संभव है।

Til Ki Kheti क्यों है फायदेमंद

Til Ki Kheti उन फसलों में से एक है जिसे उगाने में बहुत अधिक खर्च नहीं आता। यह फसल बेहद कम पानी में तैयार हो जाती है और इसकी देखभाल भी अपेक्षाकृत आसान होती है। भारत के अर्ध-शुष्क और सूखे इलाकों के लिए यह फसल एक बेहतरीन विकल्प है। तिल की खेती 25 से 35 डिग्री तापमान में अच्छे से होती है, और देश के ज्यादातर राज्यों में यह तापमान सामान्य रूप से पाया जाता है। इससे यह फसल लगभग पूरे भारत में उगाई जा सकती है।

Til Ki Kheti
Til Ki Kheti

Til Ki Kheti के लिए सही मौसम और ज़मीन

 तिल की खेती के लिए हल्की दोमट या रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खरीफ मौसम में बुआई जून-जुलाई और रबी में सितंबर-अक्टूबर के बीच की जाती है। बीज की बुआई करते समय कतारों की सही दूरी और बीज की मात्रा का ध्यान रखना जरूरी होता है, ताकि पौधों को सही पोषण मिल सके और उत्पादन अच्छा हो।

Til Ki Kheti से कितनी हो सकती है कमाई

एक एकड़ ज़मीन पर अगर वैज्ञानिक तरीके से Til Ki Kheti की जाए तो लगभग 4 से 6 क्विंटल तिल की उपज मिल सकती है। बाज़ार में तिल का भाव 8000 से 12000 रुपये प्रति क्विंटल तक होता है। इस तरह किसान को एक एकड़ से ₹40,000 से ₹70,000 तक की आमदनी हो सकती है। यदि ₹10,000 तक की लागत मानी जाए, तो शुद्ध मुनाफा ₹30,000 से ₹60,000 तक हो सकता है। यही कारण है कि आज कई किसान पारंपरिक फसलों की जगह तिल को प्राथमिकता दे रहे हैं।

Til Ki Kheti के लिए उन्नत किस्में और देखभाल

तिल की उन्नत किस्मों में T-65, GT-10 और RT-125 शामिल हैं जो बेहतर उपज, सूखा सहनशीलता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती हैं। फसल में पत्ती झुलसा और तना गलन जैसे रोग आ सकते हैं, जिनसे बचने के लिए नीम आधारित जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही समय-समय पर खेत का निरीक्षण करना भी जरूरी होता है ताकि किसी भी बीमारी की पहचान समय रहते हो सके।

Til Ki Kheti
Til Ki Kheti

Til Ki Kheti के अन्य लाभ

Til Ki Kheti में पानी और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता बहुत कम होती है, जिससे यह खेती प्राकृतिक संसाधनों पर कम दबाव डालती है। जैविक खेती करने वालों के लिए यह एक उपयुक्त फसल है क्योंकि यह बिना रासायनिक दवाओं के भी अच्छी उपज दे सकती है। तिल से निकला तेल स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है, जिससे इसकी बाजार में मांग लगातार बनी रहती है।

कंक्लुजन 

आज जब खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है, Til Ki Kheti किसानों के लिए एक नया अवसर लेकर आई है। कम लागत, कम जोखिम और अधिक लाभ के कारण यह फसल छोटे और सीमांत किसानों के लिए आदर्श विकल्प बन चुकी है। यदि वैज्ञानिक तरीकों से और समय पर सभी कृषि क्रियाएं पूरी की जाएं, तो Til Ki Kheti से किसान हर साल लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं। इसलिए अगर आप भी खेती से मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो तिल की खेती को एक बार ज़रूर आजमाएं।

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