Mirch Ki Kheti: भारत में मिर्च की मांग हर मौसम में बनी रहती है। चाहे वो हरी मिर्च हो या सूखी, हर घर की रसोई में इसका खास महत्व है। यही कारण है कि Mirch Ki Kheti आज के समय में एक लाभदायक व्यवसाय बन चुका है। खासकर मई का महीना, जब गर्मी अपने चरम पर होती है, मिर्च की नर्सरी डालने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। अगर आप भी कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है।
Mirch Ki Kheti के लिए खेत और मिट्टी की तैयारी कैसे करें?
मिर्च की अच्छी फसल के लिए सबसे जरूरी है खेत की सही तैयारी और उपयुक्त मिट्टी। दोमट, रेतीली दोमट या काली मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो, मिर्च के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। मई में गहरी जुताई कर खेत को भुरभुरा बना लें और उसमें गोबर की खाद (8–10 टन प्रति हेक्टेयर) मिला दें।

बीज का चयन और नर्सरी तैयार करना
Mirch Ki Kheti में बीज की गुणवत्ता का बड़ा असर होता है। आप तेजा, गंटूर सन्नम या संकर प्रजातियों जैसे अर्का मेघना, NS-1701 का चयन कर सकते हैं। मई में नर्सरी छायादार स्थान पर तैयार करें और बीज को बोने से पहले कार्बेन्डाजिम से उपचारित करना न भूलें। बीज को हल्के पानी के साथ गहराई में बोएं और 25-30 दिन बाद पौधे खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाएंगे।
मिर्च की रोपाई का सही समय और तरीका
जैसे ही जून के अंत में मॉनसून की शुरुआत हो, नर्सरी के पौधों को खेत में रोपें। पंक्तियों के बीच 45 सेमी और पौधों के बीच 30–40 सेमी की दूरी रखें। रोपण के समय हर गड्ढे में गोबर की खाद और उर्वरक (NPK) मिलाएं। सुबह या शाम का समय रोपाई के लिए सबसे उचित होता है।
सिंचाई और खाद का प्रबंधन
गर्मी के मौसम में सिंचाई का खास ध्यान रखें। नर्सरी में हर 2–3 दिन पर हल्की सिंचाई करें और मुख्य खेत में ड्रिप सिंचाई पद्धति सबसे उपयुक्त मानी जाती है। रोपाई के समय 50 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फास्फोरस और 25 किलो पोटाश डालें और 30 दिन बाद दोबारा नाइट्रोजन दें।
कीट और रोगों से सुरक्षा के उपाय
Mirch Ki Kheti में थ्रिप्स, माइट्स और फल छेदक कीट आम तौर पर परेशानी पैदा करते हैं। इनसे बचाव के लिए नीम का तेल या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें। पाउडरी मिल्ड्यू और फल सड़न जैसी बीमारियों से बचाव के लिए 1% बोर्डो मिश्रण का उपयोग करें।
खरपतवार नियंत्रण और देखभाल
खरपतवार को शुरुआती 30–40 दिन तक खेत में नहीं पनपने दें। 15 और 30 दिन के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करें। जैविक खेती कर रहे हैं तो मल्चिंग का उपयोग करें, जिससे नमी भी बनी रहेगी और खरपतवार भी नहीं उगेंगे।
कटाई और भंडारण कैसे करें?
हरी मिर्च 60–90 दिन में कटाई योग्य हो जाती है। सुबह के समय कटाई करें और फलों को छायादार स्थान पर सुखाएं। हरी मिर्च को 10-12°C पर स्टोर किया जा सकता है, जबकि सूखी मिर्च को अच्छी धूप में सुखाकर हवादार स्थान पर रखा जाता है।

मुनाफा कितना हो सकता है?
मिर्च की खेती में लागत करीब ₹60,000 से ₹70,000 आती है, और 10 टन तक हरी मिर्च की उपज मिल सकती है। ₹40 प्रति किलो के हिसाब से आप ₹4 लाख तक की बिक्री कर सकते हैं और शुद्ध मुनाफा ₹3 लाख तक हो सकता है।
Mirch Ki Kheti एक सुनहरा अवसर है, खासकर उन किसानों के लिए जो कम समय में अधिक आमदनी चाहते हैं। यदि सही समय पर खेत की तैयारी, नर्सरी का प्रबंधन और सिंचाई की तकनीक अपनाई जाए तो यह फसल लाखों रुपये की आमदनी का जरिया बन सकती है। मई में इसकी शुरुआत करने का सबसे उत्तम समय होता है।
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