Palak Ki Kheti: जानिए कैसे करें पालक की खेती और पाएं बंपर मुनाफा

Harsh

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Palak Ki Kheti: अगर आप खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो Palak Ki Kheti आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकती है। पालक एक ऐसी हरी पत्तेदार सब्जी है, जिसकी बाजार में सालभर मांग बनी रहती है। इसे कम समय और सीमित संसाधनों में उगाया जा सकता है।

खास बात यह है कि यह सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी है, इसलिए इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है। रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने Palak Ki Kheti को लेकर उन्नत किस्म से लेकर बुवाई, खाद, सिंचाई और रोग नियंत्रण तक की पूरी तकनीकी जानकारी साझा की है। इस जानकारी को अपनाकर किसान अपनी आमदनी में बड़ा इजाफा कर सकते हैं।

Palak Ki Kheti के लिए सबसे उपयुक्त किस्म ‘आलग्रीन’

पालक की खेती में किस्म का चुनाव बेहद जरूरी होता है। रायपुर के कृषि विशेषज्ञों ने ‘आलग्रीन’ किस्म को Palak Ki Kheti के लिए सबसे उपयुक्त और उन्नत माना है। यह किस्म तेज़ी से बढ़ती है, इसकी पत्तियां मोटी, हरी और 12–15 सेंटीमीटर लंबी होती हैं, जो बाजार में ज्यादा पसंद की जाती हैं। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 25 से 35 टन तक उत्पादन संभव है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलता है।

Palak Ki Kheti
Palak Ki Kheti

Palak Ki Kheti के लिए बुवाई और बीज उपचार की सही विधि

बीज की मात्रा 25–30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखी जाती है। बीजों को बोने से पहले कार्बेन्डाजिम नामक फफूंदनाशक से उपचार करना जरूरी होता है, जिससे बीज जनित रोगों से सुरक्षा मिलती है। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। त्रिभुजाकार बुवाई विधि पौधों को पोषण लेने और फैलने की सही जगह देती है।

खाद और सिंचाई का प्रबंधन कैसे करे

 Palak Ki Kheti में जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग जरूरी है। एक हेक्टेयर में 20 से 22 टन गोबर की खाद, 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटाश देना चाहिए। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम सबसे उपयुक्त रहता है। हर दो दिन में एनपीके 19:19:19, 12:61:00 और 13:00:45 जैसे उर्वरकों का फर्टिगेशन करने से पौधों को सही पोषण मिलता है और उपज बेहतर होती है।

Palak Ki Kheti में कीट और रोग नियंत्रण के उपाय

खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 3 दिन के भीतर आमेजीडायजन का छिड़काव करना चाहिए। लीफ माइनर और सफेद मक्खी जैसे कीटों के लिए इमामेक्टिन और इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव लाभकारी होता है। पत्तियों पर झुलसा रोग आने की स्थिति में बुकोनाजोल या म्यूरोमिक गोल्ड का उपयोग करना चाहिए, जिससे रोग नियंत्रण में आसानी होती है।

Palak Ki Kheti से मिलने वाला मुनाफा और बाजार मांग

पालक की बाजार में जबरदस्त मांग रहती है, खासकर शहरी क्षेत्रों में होटल, रेस्टोरेंट और रिटेल दुकानों में ताजा पालक की डिलीवरी लगातार होती है। अगर वैज्ञानिक विधियों से Palak Ki Kheti की जाए तो लागत कम आती है और उत्पादन ज्यादा होता है। उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता अच्छी होने से व्यापारी सीधे खेत से पालक खरीदने को तैयार रहते हैं, जिससे बिचौलियों की जरूरत नहीं पड़ती और किसान को पूरा लाभ मिलता है।

Palak Ki Kheti को क्यों अपनाएं नए किसान

जो किसान खेती में नए हैं या पारंपरिक फसलों के साथ अतिरिक्त आय का स्रोत ढूंढ़ रहे हैं, उनके लिए Palak Ki Kheti सबसे अच्छा विकल्प है। यह फसल जल्दी तैयार होती है, लगातार कटाई की जा सकती है और ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती। सिंचाई और पोषण का ध्यान रखने से पालक की गुणवत्ता भी बरकरार रहती है, जिससे बाजार में इसका रेट अच्छा मिलता है।

Palak Ki Kheti
Palak Ki Kheti

कंक्लुजन

Palak Ki Kheti आज के समय में एक स्मार्ट और लाभकारी विकल्प बन चुकी है। कम समय, कम लागत और अधिक लाभ देने वाली इस खेती को अगर वैज्ञानिक विधियों से किया जाए, तो किसान खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकते हैं। रायपुर के कृषि विशेषज्ञों द्वारा सुझाई गई ‘आलग्रीन’ किस्म और उसकी खेती की विधि अपनाकर कोई भी किसान पालक उत्पादन को व्यावसायिक रूप दे सकता है। बदलते कृषि परिदृश्य में अब समय है कि हम सब्जियों की तरफ भी ध्यान दें और Palak Ki Kheti से अपनी आमदनी में क्रांतिकारी बदलाव लाएं।

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