Rudraksh Wearing Rules: भारतीय संस्कृति में Rudraksh को बहुत ही पवित्र और चमत्कारी माना गया है। इसे भगवान शिव का प्रतीक कहा जाता है और यह आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता और ऊर्जा के लिए धारण किया जाता है। लेकिन कई बार लोग बिना नियमों को समझे इसे पहन लेते हैं और फिर शिकायत करते हैं कि इसका कोई लाभ नहीं हो रहा। असल में Rudraksh धारण करने के भी कुछ बेहद खास नियम होते हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है।
Rudraksh क्यों है शिव का प्रतीक और इतना खास?
पंडित अजय कांत शास्त्री बताते हैं कि Rudraksh भगवान शिव की आंखों से उत्पन्न हुआ माना गया है। यह न केवल एक धार्मिक वस्तु है, बल्कि एक ऊर्जात्मक माध्यम भी है जो मनुष्य को नकारात्मकता से बचाता है। इसे पहनने से मानसिक संतुलन, ध्यान केंद्रित करने की शक्ति और आत्मिक उन्नति मिलती है।
Rudraksh पहनने से पहले की जाने वाली शुद्धि विधि
Rudraksh को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। इसे धारण करने से पहले गंगाजल या किसी पवित्र जल से शुद्ध करना अनिवार्य है। स्नान के बाद ही इसे धारण किया जाना चाहिए ताकि शरीर और मन दोनों पवित्र रहें। पहनने से पहले Rudraksh मंत्र का जप करने से इसकी ऊर्जा और अधिक प्रभावशाली हो जाती है।
Rudraksh पहनने का सही तरीका और धागे का महत्व
Rudraksh को लाल या पीले रंग के पवित्र धागे में पहनना चाहिए। इसे गले में धारण करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है क्योंकि यह हृदय और वाणी दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। गले में पहनने से यह मन की एकाग्रता को बढ़ाता है और तनाव कम करता है।
Rudraksh पहनने के बाद क्या सावधानियां बरतनी चाहिए
Rudraksh को किसी भी शोक सभा, अंतिम संस्कार या अशुद्ध स्थानों पर नहीं ले जाना चाहिए। इसे बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए और न ही किसी अन्य को देना चाहिए। Rudraksh की माला को किसी और से साझा करने से उसकी ऊर्जा प्रभावित हो सकती है।
Rudraksh की देखभाल कैसे करें ताकि उसका प्रभाव बना रहे
Rudraksh को रोज़ाना साफ रखना चाहिए। इसे जल से धोकर साफ किया जा सकता है और हल्का सा सरसों का तेल लगाने से यह लंबे समय तक चमकदार और प्रभावशाली बना रहता है। Rudraksh पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक रहन-सहन अपनाना चाहिए। मांसाहार, शराब या अन्य नकारात्मक आदतों से दूरी बनाना जरूरी है।
Rudraksh के प्रकार – कौन-सा आपके लिए सबसे अच्छा है?
Rudraksh के कई प्रकार होते हैं, जैसे एकमुखी, पंचमुखी और सप्तमुखी।
- पंचमुखी Rudraksh सामान्य लोगों के लिए सबसे उपयुक्त और लाभकारी होता है।
- एकमुखी Rudraksh अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली होता है और यह उच्च स्तर के साधकों के लिए उपयोगी होता है।
- सप्तमुखी Rudraksh को विशेषकर मानसिक स्थिरता और अध्यात्मिक लाभ के लिए पहना जाता है।

अगर आप भी अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं, तो Rudraksh धारण करना एक श्रेष्ठ उपाय हो सकता है। लेकिन इसका सही लाभ तभी मिलेगा जब आप इसे पूरे नियम और विधि-विधान से पहनें। गलत तरीकों से या लापरवाही से धारण किया गया Rudraksh न केवल निष्प्रभावी होता है बल्कि नकारात्मकता भी बढ़ा सकता है।
इसलिए इसे धारण करने से पहले पूरी जानकारी लें, शुद्धता बनाए रखें और सात्विक जीवन अपनाएं।
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