CM Kisan Nidhi: मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक बड़ा और सख्त फैसला लिया है। अब अगर कोई किसान अपने खेत में पराली जलाते हुए पकड़ा गया, तो उसे CM Kisan Nidhi योजना की सालभर की सहायता राशि नहीं मिलेगी। यह फैसला प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की ओर से हाल ही में कैबिनेट बैठक के बाद घोषित किया गया है।
सरकार का मानना है कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे हवा में प्रदूषण बढ़ता है और मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है। इस निर्णय का उद्देश्य किसानों को इस हानिकारक प्रथा से दूर करना है और उन्हें जिम्मेदार खेती के लिए प्रेरित करना है।

CM Kisan Nidhi योजना और पराली जलाने पर असर
मुद्दा | डिटेल्स |
योजना का नाम | मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना (CM Kisan Nidhi) |
सालाना सहायता राशि | ₹6,000 (तीन किस्तों में) |
पराली जलाने पर कार्रवाई | 1 साल तक योजना का लाभ बंद |
MSP पर फसल खरीद | नहीं की जाएगी यदि किसान दोषी पाया गया |
सख्ती का कारण | पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण |
घोषणा की तारीख | कैबिनेट बैठक, अप्रैल 2025 |
CM Kisan Nidhi योजना से क्यों जुड़ा पराली जलाने का मामला
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत मध्य प्रदेश के किसानों को ₹6,000 सालाना की सहायता दी जाती है। यह राशि तीन किस्तों में सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है। लेकिन अब सरकार ने इसे पराली जलाने से जोड़कर नया नियम लागू किया है। अगर कोई किसान खेत में फसल कटाई के बाद पराली जलाते हुए पकड़ा गया, तो उसे योजना की किसी भी किस्त का लाभ अगले 12 महीनों तक नहीं मिलेगा।
यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसान पराली जलाने की आदत छोड़ें और वैकल्पिक उपायों जैसे पराली मशीन या मल्चिंग का इस्तेमाल करें।
सिर्फ योजना नहीं, अब MSP पर भी नहीं बिकेगी फसल
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह भी साफ किया है कि पराली जलाने वाले किसानों से MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल नहीं खरीदी जाएगी। इससे किसानों को दोहरा नुकसान हो सकता है — एक ओर वे ₹6,000 की वार्षिक सहायता राशि से वंचित रहेंगे और दूसरी ओर उनकी उपज भी मंडी में सरकार नहीं खरीदेगी।
सरकार का कहना है कि जो किसान अपने छोटे फायदे के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उन्हें अब कड़ी सजा दी जाएगी ताकि अन्य किसान भी इस आदत से बचें।
मध्य प्रदेश में क्यों जरूरी हो गया यह फैसला
पहले पराली जलाने की घटनाएं पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों तक सीमित थीं, लेकिन हाल के वर्षों में मध्य प्रदेश में भी यह समस्या तेजी से बढ़ी है। गेहूं की कटाई के बाद कई किसानों ने खेतों में आग लगाकर पराली जलाई, जिससे प्रदूषण और अग्निकांड जैसी घटनाएं सामने आईं।
राज्य सरकार ने पहले ही पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, लेकिन इसके बावजूद यह प्रथा बंद नहीं हुई। अब जब दंड और योजना लाभ के नुकसान को जोड़ा गया है, तो उम्मीद की जा रही है कि किसान इस फैसले को गंभीरता से लेंगे।

CM Kisan Nidhi योजना अब सिर्फ हक नहीं, जिम्मेदारी भी है
CM Kisan Nidhi अब केवल किसानों की आर्थिक सहायता योजना नहीं रह गई है, बल्कि यह किसानों की जिम्मेदारी और पर्यावरण के प्रति उनके कर्तव्य से जुड़ गई है।
सरकार ने साफ कर दिया है कि अब लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं होगी। जो किसान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगे, उन्हें न तो सरकारी योजना का लाभ मिलेगा और न ही फसल की सही कीमत। यह फैसला एक चेतावनी भी है और अवसर भी — किसान अगर अब भी संभल जाएं और पराली न जलाएं तो वे योजना का पूरा लाभ पा सकते हैं।
पराली न जलाएं, पर्यावरण बचाएं — यही अब किसान सम्मान का असली रास्ता है।
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