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Republic of Balochistan: बलूचिस्तान की आज़ादी से खुल सकता है हिंगलाज मंदिर का रास्ता, करोड़ों हिंदुओं की आस्था को मिल सकती है नई उड़ान

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Republic of Balochistan: आपको बताते चले की 16 मई 2025 को बलूचिस्तान से आई एक बड़ी खबर ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर हलचल मचा दी है। पाकिस्‍तान के भीतर दशकों से उपेक्षा और दमन झेल रहे बलूच लोगों ने अब Republic of Balochistan की घोषणा कर दी है। बलूच नेताओं ने साफ तौर पर कहा है कि वे अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहना चाहते।

इस नई राजनीतिक हलचल ने न केवल दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि भारत के करोड़ों हिंदुओं के लिए आस्था का एक नया द्वार भी खोल सकता है—हिंगलाज माता मंदिर

Republic of Balochistan: क्यों बनी यह जरूरत?

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन दशकों से यह उपेक्षा और शोषण का शिकार रहा है। यहां के लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलतीं, और संसाधनों का दोहन होता रहा है। पाकिस्तानी सेना की दमनकारी नीतियों से तंग आकर बलूच लोग कई सालों से आज़ादी की मांग कर रहे थे।

हाल ही में बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सेना पर कई हमले किए, जिससे यह संघर्ष और भी तेज हो गया। अब उन्होंने सार्वजनिक रूप से Republic of Balochistan को एक स्वतंत्र देश के रूप में घोषित कर दिया है और संयुक्त राष्ट्र व भारत से समर्थन की अपील की है।

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है Republic of Balochistan?

अगर बलूचिस्तान वास्तव में एक स्वतंत्र राष्ट्र बनता है, तो इससे भारत को रणनीतिक रूप से कई फायदे होंगे। इससे पाकिस्तान का भूगोल कमजोर होगा और भारत की पश्चिमी सीमा अधिक सुरक्षित हो सकती है। लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात है—हिंगलाज माता मंदिर तक सीधी पहुंच।

हिंगलाज माता मंदिर: सती का शक्तिपीठ, अब खुल सकता है द्वार

Republic of Balochistan बनने से भारतीय श्रद्धालुओं को वह अवसर मिल सकता है, जिसका वे वर्षों से सपना देख रहे हैं—हिंगलाज शक्तिपीठ की यात्रा। हिंगलाज माता मंदिर, बलूचिस्तान के लासबेला जिले में स्थित है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है और मान्यता है कि यहां माता सती का मस्तक गिरा था। यह मंदिर अत्यंत प्राचीन, रहस्यमयी और पवित्र है। फिलहाल यह पाकिस्तानी नियंत्रण में होने के कारण भारतीयों के लिए लगभग अप्राप्य बना हुआ है।

Republic of Balochistan की स्वतंत्रता के बाद हिंगलाज माता मंदिर तक भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खुलता संभावित रास्ता
Republic of Balochistan की घोषणा के बाद हिंगलाज माता मंदिर तक पहुंचने की उम्मीद, जहां देवी सती का शक्तिपीठ स्थित है।

लेकिन अगर बलूचिस्तान स्वतंत्र होता है, तो जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर बना था, वैसे ही हिंगलाज कॉरिडोर की भी कल्पना की जा सकती है।

कटासराज मंदिर: शिव से जुड़ी पौराणिक कथा, अब खुल सकता है मार्ग

बलूचिस्तान की आज़ादी के बाद भारत के श्रद्धालुओं के लिए कटासराज मंदिर तक पहुंचना भी संभव हो सकता है। यह मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित है। यह वही स्थान है, जहां भगवान शिव ने सती के वियोग में आंसू बहाए थे और उन आंसुओं से कटास कुंड नामक सरोवर का निर्माण हुआ था।

कटासराज मंदिर प्राचीन काल में दर्शन, शास्त्र और शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास का कुछ समय यहीं बिताया था, और आदि शंकराचार्य ने भी यहां आकर दर्शन का प्रचार किया था।

Republic of Balochistan: धार्मिक सहिष्णुता की नई मिसाल

हिंगलाज माता मंदिर की खास बात यह है कि वहां केवल हिंदू ही नहीं, मुस्लिम समुदाय के लोग भी देवी को “नानी पीर” के रूप में पूजते हैं। यह धार्मिक सहिष्णुता की मिसाल है।

Republic of Balochistan अगर एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनता है, तो यह धार्मिक स्थलों के संरक्षण और सभी आस्थाओं को सम्मान देने की दिशा में एक नई शुरुआत हो सकती है।

बलूच नेताओं की भारत से उम्मीदें

बलूच नेताओं ने कई बार भारत की संसद और सरकार से अपील की है कि वे उनकी स्वतंत्रता की मांग को समर्थन दें। अब जब उन्होंने आधिकारिक रूप से खुद को अलग देश घोषित कर दिया है, तो भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। यदि भारत कूटनीतिक रूप से समर्थन करता है, तो ना केवल बलूचों को मान्यता मिल सकती है, बल्कि भारत के धार्मिक और रणनीतिक हित भी सुरक्षित हो सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय समर्थन और भविष्य की राह

बलूचों ने संयुक्त राष्ट्र से भी अपील की है कि Republic of Balochistan को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी जाए। आने वाले समय में यह देखना होगा कि वैश्विक मंच पर कितने देश इस नए राष्ट्र को समर्थन देते हैं। भारत अगर बुद्धिमानी से काम ले, तो यह कूटनीतिक जीत साबित हो सकती है।

Republic of Balochistan के रूप में बलूचिस्तान की आज़ादी केवल एक भू-राजनीतिक बदलाव नहीं है। यह भारत के करोड़ों हिंदुओं की आस्था, इतिहास और संस्कृति से जुड़ा हुआ मुद्दा भी है। हिंगलाज माता मंदिर और कटासराज मंदिर जैसे स्थलों तक सीधी पहुंच केवल एक धार्मिक लाभ नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो सकता है। अगर आने वाले वर्षों में बलूचिस्तान एक स्थिर, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनता है, तो यह दक्षिण एशिया में शांति, सहिष्णुता और आध्यात्मिकता के एक नए युग की शुरुआत होगी।

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