Munjya Review: मुंजा के भेड़िए ने भूतों को अपनी औकात याद दिला दी

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Munjya: स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई हॉरर फिल्मों के साथ इन दोनों कॉमेडी का भी माहौल काफी चल रहा है ताकि डर के साथ बीच में हल्के-फुल्के हंसी मजाक और खुशनुमा माहौल बना रहे निर्माता दिनेश विजन हॉलीवुड की तर्ज पर अपनी हॉरर कॉमेडी फिल्मों का यूनिवर्स बनने की तैयारी में है.

स्त्री रोई भेड़िया के बाद इस कड़ी में मुंजा चौथी फिल्म है. इस बार उन्होंने महाराष्ट्र के कोकण क्षेत्र के लोक कथा को आधार बनाया है हालांकि फिल्म ना बहुत डरा पाती है. ना ही हंसा पाती है पर यह मूवी बहुत ही फैंटास्टिक और शानदार मानी जा रही है.

Munjya story: मुन्नी की तलाश में munjya ने की एंट्री

पुणे में रह रहा बिट्टू अभय वर्मा डरपोक स्वभाव का है. वह ब्यूटी पार्लर चलाने वाली अपनी मां पम्मी मोना सिंह और आज ही यानी दादी सुभाष जोशी के साथ रहता है. वह विदेश में पढ़ाई करने जाना चाहता है. लेकिन उसकी मां चाहती है कि वह उसका बिज़नेस संभाले फिर गांव में अपने चाचा की बेटी की सगाई के लिए बिट्टू अपनी मां और दादी के साथ गांव जाता है.

Munjya
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गांव की जमीन को बेचने को लेकर उसकी दादी और चाचा के बीच बहस होती है. चिंटू कुमारी के नाम से को खत इस जगह को श्रापित माना जाता है मानता है. कि अगर किसी ब्राह्मण लड़के की मुंडन होने के 10 दिनों के भीतर ही मौत हो जाए तो वह ब्रह्मराक्षस यानी मुंजा बन जाता है.

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मैं सिर्फ अपने खून के रिश्तेदारों को देखा है. उसे दौरान बिट्टू को अपने पिता की मौत के बारे में पता चलता है. वह चेतन वादी पहुंच जाता है वहां पर मुंजा के बंधन खुल जाते हैं. दादी उसे बचाने जाते हैं मुंजा उसकी जान ले लेता है अपनी दादी की मौत से दुखी बिट्टू अपनी मां के साथ अपने घर लौटता है तब उसे पता चलता है मुंजा उसके साथ है.

आगे की कहानी को जानने के लिए देखिए आप munjya मूवी

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