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Sindoor Ki Kheti: सिंदूर का पौधा बना रहा किसानों को लखपति, एक बार लगाओ और 20 साल तक कमाओ लाखों

Harsh

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Sindoor Ki Kheti: आज की खेती केवल अनाज या सब्जियों तक सीमित नहीं है। अब किसान ऐसी फसलों की ओर भी बढ़ रहे हैं जो कम लागत में अधिक मुनाफा दें और लंबे समय तक कमाई का जरिया बनें। ऐसी ही एक खेती है Sindoor Ki Kheti, जिसे भारत में पारंपरिक रूप से पूजा-पाठ और सुहाग के प्रतीक के रूप में पहचाना जाता है। यह पौधा अब किसानों के लिए कमाई का एक मजबूत स्रोत बन रहा है।

सिंदूर का पौधा क्या है और इसका उपयोग कहां होता है?

Sindoor Ki Kheti में उगाए जाने वाले पौधे को कई नामों से जाना जाता है – जैसे कुमकुम ट्री, वर्मिलियन ट्री, या अनाट्टो प्लांट। जब इसका फल पकता है तो उसमें से एक गहरा लाल-नारंगी रंग निकलता है जिसे “अनाट्टो” कहा जाता है। यह रंग पूरी तरह प्राकृतिक होता है और इसका उपयोग कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स, फूड इंडस्ट्री और दवाइयों में किया जाता है। इसकी खास बात यह है कि यह स्किन-फ्रेंडली होता है, इसलिए इसकी मांग देश और विदेश दोनों जगह तेज़ी से बढ़ रही है।

Sindoor Ki Kheti
Sindoor Ki Kheti

क्यों बढ़ रही है Sindoor Ki Kheti की मांग?

आज के समय में लोग केमिकल-फ्री और नेचुरल प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसे में अनाट्टो जैसे प्राकृतिक रंगों की मांग कॉस्मेटिक, आयुर्वेद और खाद्य उद्योग में तेजी से बढ़ी है। यही कारण है कि Sindoor Ki Kheti अब महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में लोकप्रिय होती जा रही है।

एक बार सिंदूर लगाओ और 20 साल तक कमाओ

Sindoor Ki Kheti किसानों के लिए एक लॉन्ग-टर्म इनकम का साधन है। एक एकड़ ज़मीन में लगभग 400 से 500 पौधे लगाए जा सकते हैं। हर पौधा सालाना ₹900 तक की कमाई देता है और इसकी औसत उम्र 15 से 20 साल तक होती है। यानी कि अगर आपने एक बार सिंदूर के 500 पौधे लगाए तो आप हर साल ₹4 लाख तक कमा सकते हैं — और वो भी बिना किसी भारी लागत या देखभाल के।

एक पौधा लगाने की लागत लगभग ₹30 से ₹50 के बीच होती है। इसे ज्यादा खाद-पानी या कीटनाशकों की जरूरत नहीं होती। यही वजह है कि सिंदूर की खेती में खर्चा कम और मुनाफा ज्यादा होता है।

Sindoor Ki Kheti के लिए मिट्टी और मौसम कैसा होना चाहिए?

सिंदूर का पौधा गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छे से पनपता है। इसके लिए रेतीली या हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है, खासकर ऐसी जमीन जहां पानी की निकासी अच्छी हो। यह पौधा ज्यादा सिंचाई की मांग नहीं करता, और बरसात के पानी से ही अच्छा फल दे सकता है। इस कारण यह उन इलाकों में भी सफल खेती बन सकती है जहां अन्य नकदी फसलें उगाना मुश्किल होता है।

कहां और कैसे बेचें सिंदूर का उत्पादन?

भारत में Sindoor Ki Kheti का उत्पादन अब वाणिज्यिक स्तर पर भी होने लगा है और इसका बाजार लगातार फैलता जा रहा है। किसान अपना उत्पाद कॉस्मेटिक कंपनियों, आयुर्वेद ब्रांड्स, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स और लोकल ट्रेडर्स को बेच सकते हैं। इसके अलावा, कई निर्यातक भी प्राकृतिक रंगों की विदेशों में सप्लाई के लिए सीधे किसानों से संपर्क करते हैं।

सरकार से कोई सहायता मिल सकती है?

कुछ राज्यों में Sindoor Ki Kheti को प्रोत्साहन देने के लिए कृषि विभाग और बागवानी मिशन की ओर से अनुदान या प्रशिक्षण भी दिया जाता है। किसान अपने जिले के कृषि अधिकारी से संपर्क करके इसके लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और तकनीकी सलाह भी ले सकते हैं।

Sindoor Ki Kheti
Sindoor Ki Kheti

कंक्लुजन 

Sindoor Ki Kheti न केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है, बल्कि यह किसानों के लिए एक दीर्घकालिक कमाई का जरिया भी है। कम लागत, कम देखभाल और अधिक मुनाफे की संभावना इसे बेहद आकर्षक बनाती है। यदि आप खेती के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते हैं और कमाई को लंबी अवधि तक सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो यह खेती आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती है।

सुहागन के सिर का सिंदूर आज किसान के खेत की लखपति फसल बन चुका है – बस एक बार लगाइए और सालों तक कमाइए।

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