Gupt Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही पावन और पूजनीय माना जाता है। यह केवल पर्व ही नहीं बल्कि भक्तों के लिए आत्मिक जागरण, शक्ति की उपासना और बुराइयों पर विजय का प्रतीक है। नवरात्रि साल में चार बार आती है, जिसमें से दो मुख्य नवरात्रियां चैत्र और शारदीय कहलाती हैं, जबकि बाकी दो को Gupt Navratri कहा जाता है।
Gupt Navratri गुप्त रूप से देवी की पूजा और साधना के लिए जानी जाती है। इसमें विशेष रूप से महाविद्याओं की आराधना की जाती है। इस नवरात्रि में की गई साधना से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाले हर प्रकार के संकट, बाधा और दु:ख दूर हो सकते हैं।
गुप्त नवरात्रि क्यों होती है खास?
Gupt Navratri बाकी नवरात्रियों से अलग होती है क्योंकि इसमें पूजा और साधना गुप्त रूप से की जाती है। इसमें तांत्रिक साधना का विशेष महत्व होता है। यह नवरात्रि उन भक्तों के लिए विशेष होती है जो अपने जीवन में शांति, सफलता, धन, सिद्धि या किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए देवी को प्रसन्न करना चाहते हैं।
Gupt Navratri में देवी दुर्गा के दस रूपों—जिन्हें महाविद्याएं कहा जाता है—की पूजा की जाती है। इन देवी रूपों की साधना बहुत शक्तिशाली मानी जाती है। यह नवरात्रि तांत्रिक, योगी और ध्यान करने वालों के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
Gupt Navratri 2025 की तिथि और घटस्थापना मुहूर्त
इस बार आषाढ़ महीने की Gupt Navratri 2025 को लेकर लोगों के बीच भ्रम बना हुआ था कि यह 26 जून से शुरू होगी या 27 जून से। उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद भारद्वाज के अनुसार, प्रतिपदा तिथि 25 जून की रात को ही शुरू हो रही है, लेकिन धर्म शास्त्रों में उदयातिथि को ही पर्व मनाने का विधान है।
इस आधार पर Gupt Navratri 26 जून 2025 से शुरू होगी। इसी दिन घटस्थापना की जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार 26 जून को सुबह 5:12 बजे से लेकर 7:43 बजे तक घटस्थापना का शुभ मुहूर्त है। इस समय देवी मां का आह्वान करके कलश स्थापना की जाती है, जो पूरे नौ दिनों की पूजा की शुरुआत मानी जाती है।
Gupt Navratri में पूजे जाते हैं मां दुर्गा के दस रहस्यमयी रूप
इस नवरात्रि में मां दुर्गा के दस महाविद्या रूपों की पूजा की जाती है। ये देवी रूप हैं—मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला।
इन देवी स्वरूपों की पूजा भक्तों को मानसिक शांति, दुश्मनों पर विजय, आर्थिक समृद्धि और आध्यात्मिक बल प्रदान करती है। हर देवी का एक अलग महत्व है और उनकी साधना से अलग-अलग सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस नवरात्रि में विशेष अनुष्ठान, मंत्र जाप और ध्यान करने का विशेष फल मिलता है।
उज्जैन में Gupt Navratri का विशेष महत्व
मध्य प्रदेश का उज्जैन शहर, जिसे कालों का राजा महाकालेश्वर का स्थान भी कहा जाता है, Gupt Navratri में बहुत विशेष माना जाता है। यहां पर हरसिद्धि शक्तिपीठ, काल भैरव मंदिर और महाकाल मंदिर तीनों मौजूद हैं। यह स्थान पृथ्वी के नाभि केंद्र के रूप में माना जाता है, जहां की गई साधना शीघ्र फलदायी मानी जाती है।
Gupt Navratri के दौरान देशभर से साधक उज्जैन आते हैं और महाकाल वन क्षेत्र में साधना करते हैं। कई लोग यहाँ 10 दिन तक रहकर पूर्ण नियम, उपवास और मौन व्रत रखते हैं ताकि वे साधना में पूरी तरह सफल हो सकें।
क्या करें और क्या न करें Gupt Navratri में
इस नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। जैसे – सात्विक भोजन करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, झूठ न बोलना, गुस्से से दूर रहना, और देवी की पूजा मन से करना।
साथ ही, इस समय किसी का दिल दुखाना, निंदा करना, या दिखावे के लिए पूजा करना वर्जित माना गया है। Gupt Navratri के दौरान किया गया हर काम बहुत गहराई से असर करता है, इसलिए सच्चे मन से की गई पूजा ही फलदायक होती है।
Gupt Navratri में छुपा है साधना और शक्ति का राज
Gupt Navratri सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि साधकों के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा का आरंभ होती है। यह आत्म-संयम, श्रद्धा और शक्ति की आराधना का समय है। यदि श्रद्धा और नियमों के साथ पूजा की जाए तो मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इस बार 26 जून 2025 से शुरू हो रही Gupt Navratri उन सभी लोगों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो अपने जीवन में बदलाव, शांति और सिद्धि की तलाश कर रहे हैं। तो इस बार Gupt Navratri में पूरी आस्था और अनुशासन के साथ देवी मां की आराधना कीजिए और अपने जीवन को नई दिशा दीजिए।
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