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Mung Ki Kheti में किसान अक्सर करते हैं ये 3 बड़ी गलतियाँ, जानिए कैसे बचाएं फसल और बढ़ाएं मुनाफा!

Harsh

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Mung Ki Kheti: भारत में दलहनी फसलों की खेती किसानों के लिए एक अहम आमदनी का जरिया है और Mung Ki Kheti उसमें सबसे लाभकारी मानी जाती है। यह फसल कम पानी, कम लागत और अल्प समय में तैयार होने वाली फसल है, जिससे किसान जल्दी मुनाफा कमा सकते हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसका उत्पादन बड़े स्तर पर होता है।

हालांकि, कई किसान कुछ सामान्य लेकिन गंभीर गलतियाँ कर बैठते हैं जो मूंग की पूरी फसल को नुकसान पहुँचा देती हैं। आइए जानें कि मूंग की खेती में कौन-सी गलतियाँ अक्सर होती हैं और उनसे कैसे बचा जाए।

फूल आने के समय सिंचाई में लापरवाही

Mung Ki Kheti में जब पौधों में फूल आने लगते हैं, तो यह फसल की सबसे नाजुक अवस्था होती है। इस समय यदि सिंचाई गलत समय पर या अधिक कर दी जाए तो फूल झड़ सकते हैं और फलियाँ नहीं बन पातीं। फूल झड़ने से सीधा उत्पादन पर असर पड़ता है और किसान को भारी नुकसान होता है।

Mung Ki Kheti
Mung Ki Kheti

इससे बचने के लिए हल्की सिंचाई करें और कोशिश करें कि ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का उपयोग हो, जिससे सिर्फ जड़ों को ही नमी मिले और फसल स्वस्थ रहे।

कीटनाशकों का गलत छिड़काव

मूंग की फसल में थ्रिप्स, व्हाइटफ्लाई और फली छेदक जैसे कीट बड़ी समस्या बन सकते हैं। कई बार किसान बिना सलाह लिए गलत कीटनाशक या अधिक मात्रा में रसायन छिड़क देते हैं, जिससे न सिर्फ पत्तियाँ जलती हैं बल्कि फूल और फलियों पर भी बुरा असर पड़ता है।

Mung Ki Kheti में हमेशा कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विशेषज्ञ से अनुमोदित कीटनाशक का ही उपयोग करें और छिड़काव सुबह या शाम के समय हल्के दबाव में करें।

येलो मोज़ेक वायरस का समय पर इलाज न करना

येलो मोज़ेक वायरस Mung Ki Kheti का सबसे बड़ा दुश्मन है। यह सफेद मक्खी द्वारा फैलता है और पत्तियों को पीला कर देता है। इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और उत्पादन 60-70% तक गिर सकता है।
इससे बचने के लिए:

  • रोग प्रतिरोधी किस्में चुनें जैसे Pusa Vishal, ML 818, Samrat 
  • बुआई से पहले बीजों को इमिडाक्लोप्रिड से ट्रीट करें 
  • पीले चिपचिपे ट्रैप खेत में लगाएं 

Mung Ki Kheti में अपनाएं ये सामान्य उपाय

Mung Ki Kheti को सफल बनाने के लिए आपको इन अतिरिक्त बातों का भी ध्यान रखना चाहिए:

  • बुआई के लिए मई और जून सबसे उपयुक्त महीना होता है। 
  • बीज की मात्रा 20-25 किलो प्रति हेक्टेयर रखें और पंक्तियों के बीच 30 सेमी का अंतर दें। 
  • अच्छी पैदावार के लिए खेत की गहरी जुताई करें और जैविक खाद का उपयोग करें। 
  • शुरुआती 30-40 दिन तक खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है। 
Mung Ki Kheti
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अनुभव साझा करें, अन्य किसानों को प्रेरित करें

आजकल कई किसान अपने खेती के अनुभव को ब्लॉग, यूट्यूब या सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। आप भी Mung Ki Kheti से जुड़े अपने अनुभव, फोटो या वीडियो अपलोड कर सकते हैं जिससे और किसानों को जानकारी मिले और आपको पहचान भी।

Mung Ki Kheti सही तरीके से की जाए तो यह किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक साबित हो सकती है। लेकिन फूल आने पर गलत सिंचाई, अनुचित कीटनाशकों का छिड़काव और येलो मोज़ेक वायरस का देर से इलाज ये तीन मुख्य गलतियाँ हैं, जो पूरी मेहनत को बर्बाद कर सकती हैं। यदि किसान इन गलतियों से बचें और सही विधि अपनाएं, तो कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाना संभव है।

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